रास्ता

पहरेदार बनो – पहलगाम के बाद

लम्हों का शायर

क्या ढूंढते हो बाज़ारो में

क्यों मिले थे

आज़ादी के इस दिन पर

ख़ुद को खफ़ा क्यों करते हो

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